ग्रीन पैनल ऑर्डर से ईको फ्रेण्डली केमिकल कंपनियों को लाभ

ग्रीन पैनल ऑर्डर से ईको फ्रेण्डली केमिकल कंपनियों को लाभ

मंुबई 31 मई 2017: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पिछले दिनों सरकार को पीवीसी पाइप्स के निर्माण में प्रयोग की जाने वाली विषाक्त लैड सामग्री के विरोध में सही मापदंड निर्धारित करने के लिए कहा था। अब इस कदम के बाद पीवीसी के लिए नॉन-टॉक्सिक मटेरियल्स के क्षेत्र में अग्रणी पाइप निर्माता कंपनियों तथा उत्पादकों पर आने वाले दिनों में दलाल स्ट्रीट ट्रेडर्स की सकारात्मक नजर रहेगी।
इस विषय पर एनजीटी के साथ पिछले दिनों याचिका दायर करने वाले एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) “जन सहयोग मंच” ने यह तर्क दिया था कि आमतौर पर अधिकांश घरों में प्रयोग किये जाने वाले पीवीसी पाइप्स में मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले लैड जैसे विषैले पदार्थ होते हैं। उल्लेखनीय है कि लैड का प्रयोग बड़े पैमाने पर पीवीसी प्रोडक्ट्स में हीट स्टेबलाइजर्स के तौर पर किया जाता है क्योंकि यह एक सस्ता साधन होता है। इस संदर्भ में पीवीसी पाइप्स में लैड की अधिक मात्रा को दर्शाने वाले लैब टेस्ट्स परिणामों को प्रस्तुत करते हुए एनजीटी ने सरकार से पीवीसी मटेरियल में हीट स्टेबलाइजर्स के प्रयोग के संदर्भ में उचित मापदंड जारी करने को कहा है।
विश्लेषकों के अनुसार एनजीटी के इस निर्देश का असर पाइप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के साथ ही उन कंपनियों पर भी पड़ सकता है जो पीवीसी पाइपों में उपयोग के लिए नॉन-टॉक्सिक पदार्थों का उत्पादन करती हैं। बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में सूचीबद्ध ऐसी कम्पनियाँ जो पीवीसी पाइप्स हैं, उनमें सुप्रीम इंडस्ट्री, एस्ट्रल पॉली, जैन इरिगेशन है। विकास इकोटेक ही ऐसी कंपनी है जो नॉन टॉक्सिक पदार्थ से पीवीसी पाइप बनाती है विश्लेषक मानते हैं कि एनजीटी के निर्देश से नॉन-टॉक्सिक पीवीसी पदार्थ बनाने वाली विकास इकोटेक को लाभ पहुंचेगा।
सेंट्रम ब्रोकिंग के इंस्टीट्यूशनल सेल्स के सीनियर वॉइस प्रेसिडेंट पूर्वेश शेलातकर के अनुसार-”यदि सरकार पाइप्स में स्टेबलाइजर के रूप में लैड के प्रयोग पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगाती है तो यह कुछ पीवीसी पाइप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए गंभीर मुद्दा बन सकता है। यदि कंपनियों के पास लैड या तैयार मटेरियल का बड़ा स्टॉक मौजूद होता है तो उन्हें या तो इसके निपटारे के बारे में सोचना पड़ेगा या उत्पादों को फिर से बनना पड़ेगा। लेकिन यही कदम उन कंपनियों के लिए संभावनाएं बढ़ा सकता है जो पीवीसी पाइप्स में प्रयोग किये जाने वाले लैड के विकल्पों के निर्माण करने की ओर कदम बढ़ा रही हैं।“
एनजीओ जनसेवा मंच, के अनुसार – “भारत में पीवीसी पाइप्स तथा अन्य मटेरियल की मांग का करीब 50 प्रतिशत उत्पादन शीर्ष पांच या छह कंपनियों द्वारा किया जाता है और उन्हें लैड के वैकल्पिक स्रोत को ओर बढ़ना ही होगा।” पीवीसी मैन्युफैक्चरिंग में लैड का उपयोग गहन चिंता का विषय है क्योंकि जहाँ एक ओर ऑर्गेनाइज्ड यानी संगठित कंपनियां इस संदर्भ में सरकार द्वारा नियंत्रित की जा सकती हैं, वहीं इस क्षेत्र में असंगठित कंपनियों व उत्पादकों द्वारा भी बड़े पैमाने पर कारोबार संचालित किया जाता है जो कि लैड का प्रयोग करते हैं और उन्हें नियंत्रित करना या उनका प्रबंधन करना बड़ी चुनौती हो सकती है।

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