कल के चोर कल बनेंगे डॉक्टर-इंजीनियर

सार्वजनिक स्थान से चोरी करने वाले युवाओं का बदला जीवन, 8 साल में 900 से अधिक बच्चे हुए लाभांवित 
 ऐसे बच्चे जो कल तक चोरी करते थे वो आज डॉक्टर-इंजीनियरिंग, वकालत की पढ़ाई कर रहे है। बच्चे में शिक्षा का अलख जगाते हुए शहर की डॉ. ललिता शर्मा 8 सालों से खुले आसमंा के नीचे बच्चों को शिक्षित करने से लेकर उन्हें नैतिक शिक्षा दे रही है। वे बच्चे जो या तो पढ़ाई छोड़ चुके है या फिर उचित जानकारी के अभाव के चलते शिक्षा से वे काफी दूर निकल चुके है उनके लिए 8 सालों से वे काम कर रही हैं। एक कॉलेज में बतौर प्रोफेसर जॉब करने के बाद शाम 4 से 7 बजे तक नियमित नि:शुल्क कक्षा लेती हैं। 8 साल पहले धीरे-धीरे इसकी शुरुआत हुई जो सिलसिला बढ़ता चला गया और आज प्रतिदिन 150 से अधिक बच्चे नि:शुल्क घर पर शिक्षा ले रहे है और अन्य बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग से टीचर लगा रखे है जो बस्ती में या कालोनी में जाकर पढ़ाते है। इन टीचर को अपनी ओर से सैलेरी भी देती हैं उन्होंने अपने शिक्षा के मिशन को बीच में रूकने नहीं देना चाहती। शनिवार को इन बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा की क्लास ली जाती है।
पहले की दोस्ती, फिर दिया नैतिक शिक्षा का ज्ञान
डॉ. शर्मा ने बताया कि सालों पहले देखा कि कुछ बच्चे ग्रुप बनाकर गार्डन की चीजों को तोडऩे या उन्हें बेचने का काम करते थे। कई बार उन्हें समझाया, धीरे-धीरे उनसे दोस्ती की ओर जो पहले चोरी करने का काम करते थे वे आज डॉक्टरी, इंजीनियरिंग, वकालत कर रहे हैं। यह वे बच्चे थे जिनके माता-पिता आर्थिक परेशानी के चलते नौकरी करते थे जिस वजह से वे बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते थे। उन बच्चों को नैतिक शिक्षा का ज्ञान दिया इसका फायदा यह हुआ कि अब इनमें से ही कई बच्चे दूसरे बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे है। ऐसे करीब सात बच्चे है जो अब बहुत आगे निकल चुके है। कुछ बच्चे इंजीनियरिंग कर रहे है, एक बच्चा बीएससी, एक बच्चा लॉ की पढ़ाई कर रहा है और एक बच्चा ग्वालियर के मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी कर रहा है। एक स्टूडेंट ने बताया कि पारिवारिक माहौल ठीक नहीं होने और आस-पास का वातावरण खराब होने की वजह से शिक्षा से दूर होते चले गए। घर पर सभी जानते थे कि मैं स्कूल जाता हूं लेकिन दो साल से मैंने पढ़ाई छोड़ रखी थी। मैडम ने प्रतिदिन तीन से चार घंटे हम ग्रुप के लोगों को समझाया, यह सिलसिला महीनों चलता फिर हमने अपनी पढ़ाई वापस शुरु की।
स्टूडेंट की जुबानी
विजय नगर स्थित सुमित कुमार ने बताया मैं बीएएलएलबी कर रहा हूं। 6वीं क्लास से ही मैडम ने पढ़ाई की ओर खास ध्यान दिया। मैडम के सपोर्ट से अब मैं लॉ की पढ़ाई कर रहा हूं। वेटनरी की पढ़ाई करने वाली स्वाति ने बताया कि 10वीं से ही मैडम ने पढ़ाई में खूब सपोर्ट किया। हमारी प्रतिदिन क्लास लेती थी। कई बार जब हमारी शिक्षा संबंधी समस्या हल नहीं होती थी तो स्वयं के खर्चे पर दूसरी फैकल्टी को मैडम बुलवाती थी। पूजा ने बताया कि मैं बीएससी कर रही हूं। मैडम के साथ जुड़ी हुई हूं, मैडम ने स्टडी में हर तरह से मदद करती है। घर के आसपास में अच्छा माहौल नहीं है इसलिए वे बच्चों की शिक्षा के लिए कई बार पैरेंट्स से भी बात करती है।

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