अब जुगाड़ की पीएचडी करना संभव नहीं

सबहेडिंग-इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस से होगी जांच, डुप्लीकेशन पाए जाने पर नहीं मिलेगी मंजूरी, नकल होने पर पकड़ लेगा सॉफ्टवेयर
 केंद्र सरकार ने पीएचडी का इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड तैयार करना शुरू कर दिया है।  अब जुगाड़ से पीएचडी करना संभव नहीं होगा, क्योंकि हाल ही में यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को कहा है कि जितनी भी नई पीएचडी हो रही हैं, पहले उनकी जांच पीएचडी के इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस से करें और यदि पीएचडी थीसिस का डुप्लीकेशन पाया जाता है तो उसे मंजूरी नहीं दें। इसके लिए पीएचडी के इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस में खोजबीन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है।  जानकारों के अनुसार अब पीएचडी की थीसिस इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में जमा होनी शुरू हो गई हैं। विश्वविद्यालय पूर्व में की गई पीएचडी की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी इसमें जमा करवा रहे हैं। 
चोरी पकडऩे के लिए लगाया प्लेगोरिज्म सॉफ्टवेयर
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(आरजीपीवी) ने पीएचडी और पीजी पाठ्यक्रमों की थीसिस में चोरी पकडऩे के लिए प्लेगोरिज्म सॉफ्टवेयर लगाया है। प्लेगोरिज्म सॉफ्टवेयर ऑनलाइन चेकर की तरह काम करता है। यानि थीसिस को जब प्लेगोरिज्म सॉफ्टवेयर में डाला जाता है तो इस बात की जांच हो जाती है कि थीसिस का कुछ हिस्सा दूसरे शोध कार्य से लिया तो नहीं गया है। यह एक-एक लाइन को चेक करता है और नकल का चोरी करने की स्थिति में सर्च कर बताता है कि संबंधित लाइन या पैराग्राऊ का उपयोग कहां किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक इस सॉफ्टवेयर में पहले से हजारों-लाखों प्रकार की जानकारी लोड होती है। जहां भी नकल की जाती है वहीं यह उसे पकड़ लेता है। विश्वविद्यालय में जिन विषयों में पीएचडी होती है उससे जुड़े विभिन्न शोध भी इसमें पहले से लोड किए गए हैं। इसके अलावा कहां-कहां से चोरी की संभावना होती है इस प्रकार के तथ्य भी इसमें  शामिल किए गए हैं। यह विभिन्न प्रकार की सामग्री की तुलना भी करता है और प्रत्येक वाक्य को डिटेक्ट करता है।
सर्च सुविधा भी उपलब्ध
इस नेटवर्क पर सर्च सुविधा भी उपलब्ध है। इससे विश्वविद्यालयों और शोधकर्ताओं को यह देखने में सुविधा होगी कि वे जिस विषय पर पीएचडी करना चाह रहे हैं, उस पर हुई तो नहीं है। यदि हुई है तो वे नया विषय चुन सकेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि विश्वविद्यालय भी इससे पीएचडी थीसिस को परख सकेंगे। यदि कोई पुरानी पीएचडी के तथ्यों से पीएचडी करता है तो उसे आसानी से पकड़ा जा सकेगा। क्योंकि पीएचडी डिग्री देने से पहले ही अब कॉपी मांगी जा रही है। उसे डाटाबेस के साथ मिलाने के बाद ही स्टूडेंट को एमफिल या पीएचडी की डिग्री दी जाएगी। पिछले साल यूजीसी ने पीएचडी नियमों में बदलाव कर यह अनिवार्य कर दिया कि किसी भी व्यक्ति को पीएचडी देने से पहले उसकी इलेक्ट्रॉनिक कॉपी यूजीसी के पास भेजनी अनिवार्य होगी। यूजीसी ने इसके लिए इंफॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क तैयार किया है। इस नेटवर्क में पीएचडी का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड रखा जा रहा है।

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