शिवराज के बजाए नरोत्तम मिश्रा या गोपाल भार्गव को नेता विपक्ष बनाना चाहता है आरएसएस

भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा की पराजय के बाद अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए कवायद चल रही है। मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ की नियुक्ति के बाद सभी की निगाहें इस ओर हैं कि राज्य में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी कौन संभालेगा? इस दौड़ में जहां पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है, वहीं सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शिवराज को नेता विपक्ष बनाने के पक्ष में नहीं है। राज्य के पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन समेत भाजपा नेताओं का एक तबका मानता है कि 15वीं विधानसभा में शिवराज को नेता विपक्ष बनाया जाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर आरएसएस और वरिष्ठ नेता इस पद के लिए नरोत्तम मिश्रा या गोपाल भार्गव जैसे किसी नेता को यह जिम्मेदारी दिए जाने के इच्छुक बताए जाते हैं।

आरएसएस सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग संतुष्ट नहीं था, इसी वजह से भाजपा ने चुनाव में खराब प्रदर्शन किया। जमीनी कार्यकर्ताओं ने इसी के चलते पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए लोगों के पास जाने की जहमत नहीं उठाई। यह भी माना जा रहा है कि किसी ब्राह्मण नेता को विपक्ष का नेता बनाए जाने पर उच्च जाति के वोटरों में पार्टी के प्रति नाराजगी कम होगी, जिन्होंने चुनाव के दौरान भाजपा को नुकसान पहुंचाया। सूत्रों का कहना है कि संघ परिवार अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर जोर दे रहा है। चुनाव में शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए आरएसएस चाहता है कि राज्य का नेतृत्व वोटरों से बेहतर जुड़ाव की दिशा में फोकस करते हुए ज्यादा सक्रिय हो। आरएसएस ने राज्य के संसदीय क्षेत्रों में वर्तमान सांसदों के कामकाज और जनता के बीच उपलब्धता को लेकर फीडबैक इकट्ठा किया है।

सूत्रों के मुताबिक ऐसे हालात में शिवराज सिंह चौहान की भूमिका नेता विपक्ष के बजाए इस संदर्भ में अहम होगी। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांटे के मुकाबले में भाजपा को शिकस्त देकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। कांग्रेस को बहुमत से दो कम 114 और भाजपा को 109 सीटें हासिल हुईं। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने राज्य की 29 में से 27 सीटों पर कब्जा किया था।

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