हमें केवल जस्टिस लोया की मौत से सरोकार: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे केवल जस्टिस बीएच लोया की मौत से सरोकार है। मामले के अन्य पहलुओं पर अदालत विचार करने नहीं जा रही। हमारे सामने केवल यह सवाल है कि लोया की मौत के मामले में निष्पक्ष जांच के लिए आदेश दिया जाए या नहीं। अदालत का इशारा वकीलों की उस दलील की तरफ था, जिसमें उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को सोहराबुद्दीन मामले से बरी करने पर सवाल उठाया।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच के समक्ष वकीलों ने दलीलें पेश कीं। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी पेश हुए वहीं बांबे लायर्स एसोसिएशन की ओर से दुष्यंत दवे ने पैरवी की। दवे का कहना था कि मामले बेहद उलझा हुआ है। उन्होंने महाराष्ट्र के कमिश्नर ऑफ इंटेलीजेंस (सीआइडी) की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इसमें महज लीपा पोती करने की कोशिश हुई है।

पिछली पेशी पर सुप्रीम कोर्ट ने शाह का नाम लेने पर दवे को चेतावनी भी दी थी, लेकिन शुक्रवार को उनके तेवर पहले जैसे ही थे। उनका कहना था कि जिन वकीलों की टीम ने सोहराबुद्दीन मामले में शाह की पैरवी की थी, वही फिर से सरकार की तरफ से पेश हो रहे हैं। दवे ने लोया की मौत से पहले और बाद के हालातों को बयान किया। उनका कहना था कि सरकार के दस्तावेजों पर कई जगह ओवर राइटिंग है। इससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। उनका सवाल था कि लोया से पहले सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस जेटी उत्थप का तबादला कर दिया गया था। हालात कह रहे हैं कि मामला बेहद जटिल है और इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।

उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआइ ने अमित शाह को बरी करने के फैसले को चुनौती नहीं दी, जबकि पुलिस अफसरों को बरी करने के फैसले पर उसने याचिका दायर की। उन्होंने यह भी कहा कि लोया के मृत शरीर के साथ तीसरा व्यक्ति कौन था। उनका कहना था कि लोया की पत्नी, पिता, बहन व बेटे से बंद चेंबर में सवाल किए जाएं। अगर वो कहते हैं कि उन्हें कोई परेशानी नहीं है तो वह फिर हम भी चुप रहेंगे। उनका कहना था कि शाह का इस मामले से बरी होना बेहद चौंकाने वाली घटना थी।

कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की तरफ से पेश अधिवक्ता वी गिरी ने राज्य सरकार की तरफ से लोया मामले में पेश रिपोर्ट पर सवाल उठाए। उनकी मांग थी कि सारा रिकार्ड अदालत के सामने पेश करना होगा। वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि नागपुर के जिस रेस्ट हाउस में लोया ठहरे थे, वहां का रजिस्टर व मामले से जुड़ा अन्य रिकार्ड (ईसीजी रिपोर्ट) अदालत में मंगवाया जाना चाहिए।

एक वकील ने जब बेंच से यह कहा कि उसने बॉम्‍बे हाई कोर्ट में मामले को लेकर याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया है। उनका कहना था कि उसने अमित शाह को भी पार्टी बनाया है। उन्हें नोटिस दिया जाना चाहिए तो अदालत का कहना था कि नोटिस देने का सवाल ही नहीं उठता। मुकुल रोहतगी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि कुछ लोग न्यायपालिका को कटघरे में लाने के साथ मीडिया की सुर्खियों में रहने के लिए आरोप लगा रहे हैं। उनका तर्क था कि महाराष्ट्र सरकार ने सारा रिकार्ड पेश कर दिया है। चीफ जस्टिस का कहना था कि संदेश स्पष्ट है कि शाह मामले से सरोकार नहीं है।

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