ये हैं टॉप 5 म्युचुअल फंड्स, इनमें बेहतर रिटर्न के साथ मिलेगा टैक्स बेनेफिट भी

नई दिल्ली। आमतौर पर लोग ऐसे निवेश विकल्प की तलाश में रहते हैं जो उन्हें बेहतर रिटर्न देने के साथ-साथ टैक्स की बचत भी करें। निवेश के लिए देश में म्युचुअल फंड्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर आप बेहतर रिटर्न और टैक्स सेविंग के लिए म्युचुअल फंड्स की तलाश कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर यह खबर आपके काम की  है। अपनी इस खबर में हम आपको एक्सपर्ट की सलाह और बीते पांच वर्षों के प्रदर्शन के आधार पर ऐसे टॉप पांच म्युचुअल फंड्स के  बारे में बता रहे हैं, जिनमें निवेश आपके लिए अच्छा साबित हो  सकता है।

ध्यान रहे सभी तरह के म्युचुअल फंड में  निवेश टैक्स सेविंग के लिए नहीं होता है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) म्युचुअल फंड में निवेश कर आप इनकम टैक्स की धारा 80 सी के अंतर्गत मिलने वाली छूट का फायदा उठा सकते हैं। निवेश और टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि नए साल के मौके पर जो निवेशक टैक्स सेविंग और रिटर्न दोनों के लिहाज से निवेश करने की योजना बना रहे हैं उनके लिए नीचे बताए गए म्युचुअल फंड बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं। इन सभी म्युचुअल फंड्स ने बीते पांच वर्षों की अवधि में 20 फीसद से ज्यादा का रिटर्न दिया है।

ये हैं टॉप 5 म्युचुअल फंड:

एक्सिस लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड

  • रेटिंग चार स्टार
  • एनएवी- ग्रोथ 41.13 रुपये डिविडेंड 24.06 रुपये
  • रिटर्न (पांच साल की अवधि): 22.59 फीसद

रिलायंस टैक्स सेवर (ईएलएसएस) फंड:

  • रेटिंग तीन स्टार
  • एनएवी ग्रोथ 66.69 रुपये डिविडेंड 14.09 रुपये
  • रिटर्न 22.31 फीसद

आदित्य बिड़ला सन लाइफ टैक्स रिलीफ 96:

  • रेटिंग पांच स्टार
  • एनएवी ग्रोथ डिविडेंड 159.98 रुपये ग्रोथ 31.43 रुपये
  • रिटर्न 21.66 फीसद

टाटा इंडिया टैक्स सेविंग्स फंड:

  • रेटिंग पांच स्टार
  • एनएवी डिविडेंड 78.79 रुपये ग्रोथ 17.97 रुपये
  • रिटर्न 21.07 फीसद

आईडीएफसी टैक्स एडवांटेज (ईएलएसएस) फंड- रेगुलर प्लान

  • रेटिंग चार स्टार
  • एनएवी ग्रोथ 57.72 रुपये डिविडेंड 18.52 रुपये
  • रिटर्न 21.05 फीसद

ईएलएसएस में निवेश करने के फायदे:

  • पीपीएफ की मैच्योरिटी अवधि 15 साल और यूलिप की पांच साल होती है, लेकिन ईएलएसएस में यह महज तीन वर्ष होती है। यह इनकम टैक्स की धारा 80सी से जुड़े निवेश विकल्पों में सबसे कम है।
  • जोखिम लेने वालों के लिए ईएलएसएस अच्छा विकल्प माना जाता है। इसमें लिक्विडिटी और पारदर्शिता होती है।
  • निवेशक को इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1,50,000 रुपए तक की कर कटौती का फायदा मिलता है।
  • अगर आप सिस्टीमेटिक तरीके से निवेश करते हैं तो आपके लिए यहां एसआईपी (सिस्टेसमेटिक इंवेस्टेमेंट प्लान) का भी विकल्पल है। इस तरह छोटी-छोटी बचत से लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने लिए यह एक अच्छा विकल्प है। इसमें आप महज 500 रुपये महीने की राशि से भी निवेश शुरू कर सकते हैं। साथ ही इसपर मिलने वाला रिटर्न कर छूट के दायरे में आता है।
  • एसेट एलोकेशन के मुताबिक ईएलएसएस म्युचुअल फंड का वर्गीकरण इक्विटी फंड के अंतर्गत किया गया है। एक वर्ष के बाद इनपर मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री होता है। इसलिए रिटर्न, डिविडेंड और इनपर मिलने वाला कैपिटल गेन भी टैक्स फ्री होता है।
  • ये फंड्स लंबी अवधि के निवेश के लिए बेहतर होते हैं। इसपर मिलने वाला रिटर्न महंगाई को मात देने की क्षमता रखता है। जिसकी मदद से आप घर की खरीदारी,शादी की योजना या बच्चे की पढ़ाई के खर्चों की प्लानिंग कर सकते हैं।
  • इसमें आप या तो लंप-सम (एकमुश्त) निवेश या फिर एसआईपी का चयन कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप 60 हजार रुपये सालाना टैक्स के रूप में बचाना चाहते हैं। ऐसे में या तो 60 हजार एक बार में (लंप सम) या फिर5,000 रुपये सालाना की एसआईपी का चयन किया जा सकता है। इससे आपको उस वित्त वर्ष के दौरान टैक्स बेनिफ्ट भी मिल जाएगा।
  • ईएलएसएस में फंड मैनेजमेंट फीस या एक्सपेंस रेशियो के रूप में शुल्क लगाया जाता है। यह अधिकतम 2.5 फीसद हो सकता है और यह लागत स्कीम की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) में एडजस्ट की जाती है, न कि अलग से ली जाती है।
  • इसमें निवेश करने की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। आप जितना चाहे इसमें निवेश कर सकते हैं। यह एक अच्छी बात नहीं है।
  • एसआईपी में निवेश करने से आप कभी भी अपनी एसआईपी शुरू या रोक सकते हैं।
  • इसमें इंडिविजुअल्स और हिंदु अनडिवाइडेड फैमली (एचयूएफ) भी निवेश कर सकते हैं।

क्या हैं नुकसान:

  • इसमें एक चुनौती यह रहती है कि फंड का चुनाव करना मुश्किल होता है।
  • इनमें निवेश करने के लिए कई दस्जावेजों की जरूरत पड़ती है।
  • ईएलएसएस पर मिलने वाले रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती क्योंकि इसके जोखिम इक्विटी मार्केट संबंधित होते हैं।
  • इसमें मैच्योरिटी से पहले निकासी संभव नहीं है
  • इसमें लॉक इन पीरियड के दौरान किसी अन्य फंड या एसेट क्लास में स्विच नहीं किया जा सकता है।
  • इसमें निवेश के समय और जिस वर्ष निकासी की जाती है उस दौरान टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।

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