राजभवन की नए राज्यपाल ने बदल दी शक्लोसूरत रखरखाव के सरकारी ढर्रे में किया बदलाव, बढी रौनक

भोपाल। 28 एकड़ में फैला राजधानी स्थित राजभवन में जबसे प्रदेश के नए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की आमद हुई है तबसे राजभवन की शक्लोसूरत बदल गई है। राजभवन में 14 एकड़ का बागीचा है, जिसमें कई प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाए गए हैं, लेकिन रखरखाव का वही सरकारी ढर्रा चल रहा था। नतीजतन जगह-जगह कचरा, सूखे पौधे, सड़े फल-सब्जी का ढेर लग जाता था। एक -दो दिन के अंतराल में नगर निगम का कचरा वाहन आकर यह कचरा उठा ले जाता था। आनंदी बेन बतौर राज्यपाल जब पहली बार राजभवन पहुंची तो उन्हें बागीचे की उजाड़ सी हालत रास नहीं आई और वे स्टाफ पर न सिर्फ नाराज हुईं बल्कि उन्होंने सबसे पहले बागीचे को ही व्यवस्थित करने का मन बना लिया। आज राजभवन में जैविक व वर्मी कम्पोस्ट की 9 यूनिट में खाद तैयार हो रही है।

प्रतिदिन निकलने वाले करीब 100 किलो कचरे अब साल भर में 134 क्विंटल जैविक खाद तैयार होने का अनुमान है। इस तरह राजभवन में ना सिर्फ जैविक उत्पादन होगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह पहले अन्य सरकारी बंगलों के लिए एक उदाहरण भी होगा। राजभवन में तीन बड़े-बड़े लॉन हैं, जिसमें हर महीने करीब 50 से 60 किलो घास की कटिंग कर कचरा निकाला जाता है। जिसका प्रयोग ग्रीन कम्पोस्ट बनाने में किया जाता है। केंचुए से खाद तैयार करने में सबसे ज्यादा उपयोग होता है। यह केंचुए का भोजन होता है। कम्पोस्ट यूनिट के लिए यूनिट 3 बने हैं। जिनमें जैविक खाद 30 दिन में तैयार होता है। इसे कल्चर विधि द्वारा कचरे को सड़ाकर दो तरह से तैयार किया जाता है। इससे तरल व सूखा दोनों खाद बनते हैं। वहीं वर्मी कम्पोस्ट के लिए 6 यूनिट बने हैं।

यह वर्मी कम्पोस्ट 45 दिनों में तैयार होता है। भोपाल (ईएमएस)। 28 एकड़ में फैला राजधानी स्थित राजभवन में जबसे प्रदेश के नए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की आमद हुई है तबसे राजभवन की शक्लोसूरत बदल गई है। राजभवन में 14 एकड़ का बागीचा है, जिसमें कई प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाए गए हैं, लेकिन रखरखाव का वही सरकारी ढर्रा चल रहा था। नतीजतन जगह-जगह कचरा, सूखे पौधे, सड़े फल-सब्जी का ढेर लग जाता था। एक -दो दिन के अंतराल में नगर निगम का कचरा वाहन आकर यह कचरा उठा ले जाता था। आनंदी बेन बतौर राज्यपाल जब पहली बार राजभवन पहुंची तो उन्हें बागीचे की उजाड़ सी हालत रास नहीं आई और वे स्टाफ पर न सिर्फ नाराज हुईं बल्कि उन्होंने सबसे पहले बागीचे को ही व्यवस्थित करने का मन बना लिया। आज राजभवन में जैविक व वर्मी कम्पोस्ट की 9 यूनिट में खाद तैयार हो रही है। प्रतिदिन निकलने वाले करीब 100 किलो कचरे अब साल भर में 134 क्विंटल जैविक खाद तैयार होने का अनुमान है। इस तरह राजभवन में ना सिर्फ जैविक उत्पादन होगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह पहले अन्य सरकारी बंगलों के लिए एक उदाहरण भी होगा।

राजभवन में तीन बड़े-बड़े लॉन हैं, जिसमें हर महीने करीब 50 से 60 किलो घास की कटिंग कर कचरा निकाला जाता है। जिसका प्रयोग ग्रीन कम्पोस्ट बनाने में किया जाता है। केंचुए से खाद तैयार करने में सबसे ज्यादा उपयोग होता है। यह केंचुए का भोजन होता है। कम्पोस्ट यूनिट के लिए यूनिट 3 बने हैं। जिनमें जैविक खाद 30 दिन में तैयार होता है। इसे कल्चर विधि द्वारा कचरे को सड़ाकर दो तरह से तैयार किया जाता है। इससे तरल व सूखा दोनों खाद बनते हैं। वहीं वर्मी कम्पोस्ट के लिए 6 यूनिट बने हैं। यह वर्मी कम्पोस्ट 45 दिनों में तैयार होता है।  आनंदी बेन ने राज्यपाल का पद संभालने के बाद से राजभवन और राजभवन से बाहर अपने प्रवासों के दौरान लगातार सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों पर जोर दिया है। शुरूआत में उन्होंने राजभवन की चारदीवारी पर प्रणायाम की सभी मुद्राओं की पेंटिंग तैयार करवाकर जहां विश्व योग दिवस पर जीवन में योग के महत्व को समझाने प्रयास किया।

इसके लिए उन्होंने करीब 12 लाख रुपए की लागत से पचमढ़ी में योग पार्क भी तैयार करवाया। वहीं प्रदेश में अपने प्रवासों के दौरान वे लगातार कुपोषण रोकने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने से जुड़े मुद्दों पर जोर देती हैं। इधर भोपाल में शिक्षक दिवस से उन्होंने पढ़े भोपाल अभियान शुरू किया और हाल ही में उन्होंने अपने जन्मदिन के अवसर पर सामाजिक संगठनों व संस्थाओं से पुस्तकें जुटाकर राजभवन के साथ सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए लाइब्रेरी तैयार करवाने की पहल की है। इस संबंध में ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी डीआर साहू का कहना है कि जैविक खाद की चार यूनिट पहले भी थीं, लेकिन व्यवस्थित नहीं होने कारण खाद तैयार नहीं होता था। हाल में ही कुल नौ यूनिट राजभवन में तैयार किए गए हैं, जिनमें प्रतिदिन करीब सौ किलो कचरा एकत्र कर खाद बनाई जा रही है। अब राजभवन के बगीचे में पूरी तरह जैविक खाद का ही उपयोग होगा।

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