प्रदूषण से बच्चों में ऑटिज्म का खतरा ज्यादा -चीन में हुए अध्ययन में दी चेतावनी

पेईचिंग। बढते प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों और हृदय रोग का खतरा ही नहीं बढा है बल्कि बच्चों में ऑटिज्म का खतरा भी अधिक रहता है। चीन में हुए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि आउटडोर पलूशन जैसे गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और फैक्ट्रियों और कारखानों से होने वाले जहरीली हवा के उत्सर्जन की वजह से बच्चों में ऑटिज्म होने का खतरा 78 प्रतिशत बढ़ जाता है। इस रिसर्च में चीन के शंघाई में पैदा हुए बच्चों में नवजात से लेकर 3 साल तक के बच्चों पर पीएम 2.5 कण का क्या असर होता है इसकी जांच की गई।

इस स्टडी में 124 वैसे बच्चों को शामिल किया गया जो पहले से ऑटिज्म का शिकार थे जबकि 1 हजार 240 स्वस्थ बच्चों को शामिल कर करीब 9 साल तक उनका परीक्षण किया गया। इस दौरान वायु प्रदूषण और ऑटिज्म के बीच क्या संबंध है यह जानने की कोशिश की गई। इस स्टडी को इन्वायरनमेंट इंटरनैशनल जर्नल में प्रकाशिक किया गया। यह ऐसी पहली स्टडी है जिसमें विकासशील देशों के बच्चों पर वायु प्रदूषण के बीच लंबे समय तक रहने और ऑटिज्म के बीच संबंध को दर्शाया गया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर दिन बढ़ता वायु प्रदूषण चिंता का सबब बनता जा रहा है और इसकी वजह से हर साल 4.2 मिलियन यानी 42 लाख लोगों की मौत हो रही है।

वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्वों की वजह से चीन और भारत जैसे देशों में बीमारियों के साथ-साथ प्री-मच्योर डेथ यानी समय से पूर्व मृत्यु के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज के शिलिंग गुओ कहते हैं, ‘ऑटिज्म क्यों होता है और इसका कारण क्या है यह ढूंढना कठिन कार्य है और इसे पूरी तरह से समझा नहीं जा सकता लेकिन जेनेटिक और दूसरे कारणों के साथ ही वातावरण से जुड़े फैक्टर्स भी इसे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं। बच्चों का ब्रेन विकसित हो रहा होता है और ऐसे में वातावरण में मौजूद जहरीली कण बच्चों के इम्यून सिस्टम के साथ-साथ दिमाग के कार्य करने की क्षमता को भी प्रभावित करते हैं।’

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