ओजोन परत को क्षतिग्रस्त कर रहीं है चीन की ओद्यौगिक इकाइयां

बीजिंग । पर्यावरण को बचाने वाली ओजोन परत को चीन की ओद्यौगिक इकाइयां क्षतिग्रस्त कर रहीं है जिसके चलते पर्यावणीय खतरा मुंह बाए खड़ा है। पर्यावरण जांच एजेंसी (ईआईए) ने खुलासा किया है कि चीनी फैक्ट्रियों की वजह से ओजोन परत को भारी नुकसान पहुंच रहा है । ईआईए की एक रिपोर्ट के अनुसार 10 चीनी प्रांतों में 18 कारखानों द्वारा प्रतिबंधित क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। एक पर्यावरण दबाव समूह ने सोमवार को दावा किया कि चीनी कारखाने अवैध रूप से ओजोन-अपूर्ण सीएफसी का उपयोग कर रहे हैं और यह बात वैज्ञानिकों को परेशान कर रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) एक कार्बनिक यौगिक है जो केवल कार्बन, क्लोरीन, हाइड्रोजन और फ्लोरीन परमाणुओं से बनता है।

सीएफसी का इस्तेमाल रेफ्रिजरेंट, प्रणोदक (एयरोसोल अनुप्रयोगों में) और विलायक के तौर पर व्यापक रूप से होता है। ओजोन निःशेषण में इसका योगदान देखते हुए, सीएफसी जैसे यौगिकों का निर्माण मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत चरणबद्ध तरीके से साल-2010 में विकासशील देशों में आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया था। उत्पादकों और व्यापारियों ने ईआई शोधकर्ताओं को बताया कि उभरते निर्माण क्षेत्र में एक इन्सुलेटर के रूप में सीएफसी-11 की बहुत मांग है, लेकिन सीएफसी ऐसा रसायन है जो खतरनाक सौर किरणों से पृथ्वी पर जीवन रक्षक ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रही है।

इस संबंध में की गई शिकायात पर चीनी अधिकारियों का कहना है कि देश ने साल-2007 में सीएफसी का उपयोग को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया था। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि चीन ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए जबरदस्त योगदान दिया है। मंत्रालय ने ईआईए रिपोर्ट में किए दावों के जवाब दिए बिना एक फैक्स टिप्पणी में कहा कि सीएफसी-11 उत्सर्जन एकाग्रता में वृद्धि एक वैश्विक मुद्दा है जिसे सभी पक्षों द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए। बयान में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तरह चीन इस मुद्दे पर बहुत चिंतित है।

उल्लेखनीय है कि ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमे ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। इसे O3 के संकेत से प्रदर्शित करते हैं। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 93-99% मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओजोन यहां मौजूद है। यह मुख्यतः स्ट्रैटोस्फियर के निचले भाग में पृथ्वी की सतह के ऊपर लगभग 10 किमी से 50 किमी की दूरी तक स्थित है, यद्यपि इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलती रहती है।

ओजोन की परत की खोज वर्ष-1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। इसके गुणों का विस्तार से अध्ययन ब्रिटेन के मौसम विज्ञानी जी एमबी डोबसन ने किया था। उन्होंने एक सरल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर विकसित किया था जो स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन को भूतल से माप सकता था। सन-1928 से 1958 के बीच डोबसन ने दुनिया भर में ओजोन के निगरानी केन्द्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया था, जो आज तक काम करता है (2008)। ओजोन की मात्रा मापने की सुविधाजनक इकाई का नाम डोबसन के सम्मान में डोबसन इकाई रखा गया है।

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