मध्यप्रदेश में इस बार कांग्रेस सत्ता के द्वार

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव की राह में इस बार भाजपा के लिए शुरुआत से ही कांटे बिछना शुरु हो गया था और मतदान होते-होते मुश्किलों का दौर बढ़ता चला गया। कांग्रेस ने पूरी एकजुटता से संघर्ष किया और अपने संगठन को मजबूत बनाया। जिसका फायदा उसे मिलने की पूरी सम्भावना है। पहले बिखरी हुई कांग्रेस चुनाव में भाजपा का सामना नहीं कर पाती थी। लेकिन इस बार कांग्रेस ने भाजपा को मुद्दों के चक्रव्यूह में फांसने पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा पन्द्रह साल से सत्ता में है इसका कुछ न कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ना ही है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान भाजपा में जिस तरह बगावत असंतोष और भीतरघात की स्थितियां सामने आईं, उसने कांग्रेस को मजबूती दी है। अगर इस बार कांग्रेस बाजी मार ले जाये तो यह उसकी मेहनत का परिणाम और चुनाव के दौरान सामने आये मुद्दों का असर माना जायेगा।

कांग्रेस ने भाजपा सरकार के कार्यकाल की कमजोरियों को निशाना बनाते हुए बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आसमान छूती महंगाई को मुद्दा बनाया तो किसानों से जुड़े मामलों पर फोकस करके भाजपा को घेर लिया। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से लेकर केन्द्र की मोदी सरकार तक की नाकामियों से जुड़ी बातों को उछालने तथा जनता का रुझान अपनी ओर बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा को इस बार इस बात का भी नुकसान होने का अंदेशा है कि दलितों, पिछड़ों को लुभाने के चक्कर में भाजपा ने सवर्णों को नाराज कर दिया। ऐसी आशंका है कि सवर्ण वर्ग का वोट बैंक इस बार भाजपा से छिटक कर कांग्रेस के पाले में खड़ा हुआ है। माई के लाल बनकर स्वर्णो ने भाजपा को जबाब दिया है। बेरोजगारों की फौज और प्रदेश के किसान भी कांग्रेस की ओर आकर्षित हुए हैं।

सबसे बड़ी बात यह कि बढ़ती महंगाई की सर्वाधिक मार झेलने वाले मध्यम वर्ग का भाजपा से मोह भंग होता नजर आया है। पेट्रोल से लेकर रसोई गैस तक कीमतों में लगी आग ने भाजपा का जमकर नुकसान कराया है, ऐसा आंकलन किया जा रहा है। महंगाई से त्रस्त मध्यम वर्ग के लिए भाजपा ने ऐसी कोई राहत नहीं दी जो चुनाव में मददगार साबित हो। इसलिए ऐसा समझा जा रहा है कि महंगाई के बोझ तले दबते जा रहे मध्यम वर्ग ने निराश होकर कांग्रेस के प्रति उम्मीद जता दी है।

मध्यप्रदेश में भाजपा राज में हुए घोटालों को कांग्रेस ने जबर्दस्त तरीके से निशाने पर रखा तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मायाजाल छितर-बितर करने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। राहुल ने मध्यप्रदेश में जिस तरह से हर वर्ग के बीच पहुंच बनाई है और भाजपा सरकार की नीतियों की धज्जियां उड़ाई हैं, उसका व्यापक असर नजर आ रहा है। सरकार की नाकामियों, भ्रष्टाचार के मुद्दों, लगातार बढ़ती महंगाई के साथ ही भाजपा के आंतरिक असंतोष को कांग्रेस ने जमकर भुनाया है। अगड़ों-पिछड़ों की राजनीति भी भाजपा के गले पड़ती दिखाई दी है। ऐसी स्थिति में भाजपा का चौथी बार सत्ता में आना ठीक ऐसा ही होगा जैसे आग का दरिया है और तैर के जाना है।

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