ISRO में वैज्ञानिक बना भारत का ये होनहार, पापा करते हैं वेल्डिंग का काम

गाजियाबाद। आइडियल इंस्टीट्यूट से बीटेक करने वाले इस छात्र के सामने लाख मुसीबतें आईं, लेकिन हार न मानने वाले जज्बे की बदौलत उसने सफलता की कहानी लिख दी। कृष्ण गोपाल का चयन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के सैटेलाइट डिवीजन में हुआ है।

देशभर से तीन लाख से अधिक अभ्यर्थियों में से 300 मेधावियों का चयन इसरो के लिए हुआ। इसमें भी कृष्ण गोपाल ने 32वां स्थान हासिल किया। रविवार को संस्थान द्वारा मेधावी छात्र को उसकी सफलता के लिए सम्मानित किया गया।

मुश्किलों के आगे नहीं मानी हार

कृष्ण गोपाल के पिता पूरन सिंह मथुरा गोपालपुरा टाउनशिप में रहते हैं और एक फैक्ट्री में वैल्डिंग का काम करते हैं। मथुरा से स्कूलिंग पूरी करने के बाद यूपीएसइइ में 12 हजार रैंक के साथ बीटेक में गोविंदपुरम स्थित आइडियल इंस्टीट्यूट में प्रवेश लिया।

स्कॉलरशिप और कालेज के सहयोग से कृष्ण गोपाल ने बीटेक किया। संस्थान के वाइस चेयरमैन डॉ. अतुल जैन ने बताया कि कृष्ण गोपाल शुरू से ही पढ़ने में तेज रहा है। उन्होंने बताया कि तीन महीने तिरुवंनतपुरम में ट्रेनिंग के बाद बंगलुरू में कृष्णगोपाल साइंटिस्ट के तौर पर काम करेंगे।

स्टीफन हॉकिंस हैं आदर्श

कृष्ण गोपाल ने बताया कि वह शुरू से ही मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की तरह भारत का नाम विश्व में रोशन करना चाहते हैं।

वैज्ञानिक के तौर पर स्टीफन हॉकिंस उनके आदर्श हैं। उन्होंने बताया कि वह देश के लिए काम कर देश के विकास में योगदान देंगे।

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