चीन के लिए अलग तरह का संकट खड़ा कर सकता है अमेरिका-मैक्सिको-कनाडा करार

बीजिंग : अमेरिका-मैक्सिको-कनाडा व्यापार समझौता (यूएसएमसीए) चीन के लिए बड़ी समस्या बन सकता है। इसमें अमेरिका को ऐसा निषेधात्मक अधिकार मिला है, जिसके तहत वह दोनों भागीदारों को किसी ऐसे देश के साथ इसी तरह का समझौता करने से रोक सकता है, जो बाजार निर्देशित अर्थव्यवस्था नहीं है।

चीन को अभी बाजारवादी अर्थव्यवस्था का दर्जा नहीं मिला है। विशेषज्ञों को लगता है कि अमेरिका ने अपने उत्तर और दक्षिण के पड़ोसियों से जो नया समझौता किया है, वह चीन के खिलाफ एक बड़े आर्थिक-व्यापारिक गठबंधन की शुरूआती कड़ी साबित हो सकता है।

अमेरिका ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद इन दोनों देशों के साथ 24 साल पहले हुए उत्तर अमेरिका मुक्त व्यापार संधि (नाफ्टा) को खत्म कर यह नया समझौता किया है। यदि इन तीन में से किसी ने किसी गैर-बाजारवादी देश के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया तो बाकी दोनों देश के साथ यूएसएमसीए को छह माह के नोटिस पर खत्म कर सकते हैं।

मैक्सिको या कनाडा के साथ चीन के संभावित मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा और उसमें बाधा खड़ी करने और प्रकारांतर में उसका निषेध करने के इस अधिकार का इस्तेमाल कर अमेरिका चीन की वस्तुओं को अपने बाजार में प्रवेश से रोकने के परोक्ष मार्गों को रोक सकता है।

चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का सदस्य बना, लेकिन उसे अभी बाजार-अर्थव्यवस्था का दर्जा नहीं मिला है। बाजार अर्थव्यस्था होने पर उसके खिलाफ डंपिग रोधी शुल्क बहुत कम हो जाएगा क्योंकि उस स्थिति में उसके सामानों की दर की तुलना तीसरे देश से किए जाने की शर्त से छूट मिल जाएगी।

चीन का तर्क है कि वह 15 साल से डब्ल्यूटीओ की शर्तों का पालन कर रहा है इस लिए वह बाजार अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने का पात्र है। अमेरिका और यूरोपीय संघ उसको यह दर्जा देने का विरोध कर रहे हैं।

डब्यूटीओ के नियमों के तहत इस तकनीकी फर्क के खत्म होने के बाद चीन के खिलाफ व्यापारिक कार्रवाई करने का उनका अधिकार सीमित हो जाएगा।

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