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Amrit Anand

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण विषय के साथ 14 से 21 नवंबर तक आज़ादी…

इन दिनों स्वतंत्र भारत के 75 वर्ष का जश्न मना रहे हैं, ऐसे में महिला और बाल विकास मंत्रालय गतिविधियों और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की मेजबानी करने की योजना बना रहा है जो मंत्रालय के व्यापक दृष्टिकोण, यानी महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास…
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परम वो है जो मौके पर संभाल ले,और पामर वो है जो मौके पर सुना दे!- मोरारी बापू 

इंदौर , जून । चित्रकूट में आयोजित कथा के आठवें दिन की कथा पर कल पांच विषम व्रत के बारे में बापू ने बताया था थोड़ा ज्यादा बताते हुए कहा कि हमारी दृष्टि से चांद और सूरज हम हमारी खिड़की से देखें तो थाली जैसा दिखता है। लेकिन चांद सूरज

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जहाँ आस्था है, वहाँ रास्ता है : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
न्यूज़ डेस्क :  पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - गीता हमारे प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान का सार है। यह मानव जाति के सामने आने वाली समस्त समस्याओं का समाधान करता है और शांति, साहस और प्रसन्नता

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सेवा आंकड़ों में गिनने की बात नहीं, अपितु अनुभूति का विषय है : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
न्यूज़ डेस्क : पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - सुसंस्कार-संपन्न सेवा-भावना और सर्वतोभावेन समर्पण भारतीय संस्कृति की अनुपम अभिव्यक्ति है। सेवा से अहंकार का क्षरण और अन्तःकरण में

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भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश जिसे ईश्वर ने 6 विभिन्न ऋतुओं से सुशोभित किया है : स्वामी अवधेशानन्दं…

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
न्यूज़ डेस्क : पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - प्रकृति में मातृवत परिपोषण के भाव हैं ! किन्तु अनियंत्रित भोग-वांछाओं के कारण मनुष्य ने पर्यावरण को दूषित किया है, विकृत पर्यावरण

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भगवान का चिंतन करने से धीरे-धीरे उनके गुण हममें आने लगते हैं : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
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 न्यूज़ डेस्क : पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - स्मृतियों के जगत् में परमात्मा से मधुर-दिव्य, अद्भुत और उदात्त-अनुपम अन्य कोई स्मृति नहीं है। भगवदीय स्मृति अपूर्व ऊर्जा, सामर्थ्य

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सच्चे मन से की जाने वाली भक्ति कभी निष्फल नहीं होती : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - वृक्ष-नदी, पवन-प्रकाश एवं सभी पारमार्थिक रूपों में अभिव्यक्त परमात्मा ही जगत के उद्भव और विकास का मूल है, अतः ईश्वर ही हमारे परम अभिभावक हैं।

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ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है :स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है। इसके विपरीत अज्ञानता समस्त दुःखों की मूल जननी है। लोकोपकारी प्रवृत्तियों का सृजन; अध्यात्म सम्पदा का रक्षण

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विवेक के आश्रय में जीने वालों को जीवन में कोई कठिनाई नहीं आती : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - भगवान भक्त-वत्सल, परम-कृपालु और सर्वत्र नित्य-विद्यमान सत्ता हैं। विशुद्ध अन्तःकरण-आर्द्र भाव से की गई प्रार्थना से वो शीघ्र ही द्रवीभूत हो जाते

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सत्संग जीवन का कल्पवृक्ष : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

न्यूज़ डेस्क : पूज्य "सदगुरुदेव" जी ने कहा - देह-देवालय एवं जीवन-सिद्धि का स्वाभाविक स्रोत है ! स्वस्थ्य-निर्भ्रांत, सहज-स्वाभाविक एवं दीर्धकालिक जीवन के लिए आहार-विहार-विचार शुचिता अपेक्षित है। नैसर्गिक जीवन अभ्यास, सद-विचार सम्पन्नता एवं

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