आजाद लब – अखिलेश और मायावती का मजबूर गठबंधन : पाण्डेय विश्वबंधु

यह बहुत पुराणी कहानी है की जब कोई नया मजबूत प्रतिद्वंदी आ जाता है तो दो दुश्मन बिना मन के एक हो जाते है मज़बूरी मे और एक मज़बूरी भरा भरी मन से गठबंधन बना लेते है और वापिस कुछ दिनों बाद अपना स्वार्थ पूरा होने पर अलग हो जाते है  l ऐसा ही गठबंधन युपी मैं अखिलेश यादव और मायावती ने किया है l अखिलेश हला की अपने पिता से इतर नए -नए प्रयोग कर रहे है , परन्तु उनको सफलता नहीं मिल रही l आप को याद होगा की जब पिछले चुनाव मे अखिलेश ने कांग्रेस से गठबंध किया था तो कहते थे की जब भी कांग्रेस का बुरा दिन होगा समाजवादी उसके साथ सबसे पहले खडे होंगे l यह बात अब वो भूल कर कांग्रेस को अलग कर दिए और अपने ध्रुव विरोधी मायावती को गले लगा लिया है l

 

यह है राजनीती जो सत्ता के लिए अपना सब भूल जाती है और किसी के साथ हो जाती है l ऐसा ही हाल मायावती का है जिसकी झोली खाली है l मायावती प्रदेश की सत्ता से पिछले सात सालों से दूर है और पार्लियामेंट मै उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं है l दोनों  ही हारे हुए दल और हतास लोग आपस मे मिलकर अपने को वापिस सत्ता मे लाना चाह्ते है . क्योकि वह जान चुके है की उन दोनो का गुजरा अब साथ होने मै ही है और यह अब अखिलेश और मायावती की आखरी राजनितिक चाल है l क्योंकि अब उनके पास कोई तीर नहीं बचा है l दोनों दलों ने कांग्रेस को अपने से अलग तो कर दिया है परन्तु कांग्रेस अब चुकी घोषणा कर चुकी है की वो यूपी के सभी 80 सीटों पर चुनाव लडेगी तो पहले तो सपा , बसपा और कांग्रेस आपस मे ही लडेगे , क्योंकि इन तीनों पार्टियो को वोट बैंक लगभग एक ही है l मायावती ने मुस्लिम वोटों के लिए अपना चाल तो यह कह कर चल दिया है की मुस्लिम समुदाय को भी आरक्षण मिलना चाहिए परन्तु वो यह भूल गई की मुस्लिमों का प्यार कांग्रेस से भी है जो की अनुमान है की  मुस्लिम वोट का बड़ा हिस्सा अपने तरफ खीच लेगी l

 

वही बीजेपी को भी मुस्लिम महिला वोट तीन तलाक बिल के कारण मिलने की संभावना है l यादव वोट या कहे तो समाजवादी पार्टी का वोट भी इस बार शिवपाल यादव के कारण बटने की संभवनी है , क्योंकि यूपी के आखाडा मे शिवपाल विजेता तो नहीं परन्तु बीजेपी का सहयोगी बनते  हुई नज़र आयेंगे l  क्योंकि वो यूपी मे गठबंधन का ही वोट काटेंगे जिससे फायदा बीजेपी को होगा l अगर बात वोट प्रतिशत की किया जाए तो पिछले चुनाव मे मायावती को 19 .77 % वोट मिले परन्तु वो कोई भी सीट नहीं जीत पाई . वही समाजवादी पार्टी को 22. 35 % वोट मिले और वो सिर्फ 5 सीट जीत पाई l इन दोनों दलों का वोट प्रतिसत अगर करे तो 42.12 हो रहा है जो की बीजेपी के 42.63 % वोट के बहुत करीब है और बीजेपी ने इतना वोट ले के प्रदेश मे 71 सीटो पर विजय हासिल की थी l वही कांग्रेस को दो सीटे मिली थी l परन्तु इस बार की लड़ाई पिछले बार से अलग है जहा बीजेपी के पक्ष मे मोदी लहर नहीं है वही मायावती और अखिलेश के साथ आने से बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने की संभवनी है परन्तु बीजेपी के लिए स्वर्ण आरक्षण मील का पत्थर साबित हो सकता है और यह बीजेपी की नैया को पार लगा सकती है l

 

मायावती और अखिलेश की सबसे बड़ी चूनौती कांग्रेस और शिवपाल यादव हो सकते है l वही अभी तह इस गठबंधन का कोई एजेंडा सामने नहीं आया ही की आखिर यह एक सिर्फ मोदी को हराने के एक हुए है यह यह देश हीत मे भी कुछ करने के लिए कुछ सोचेगे भी l जनता अब जागरूक है और वो अब आपके सत्ता की भूख को पूरा करने के लिए अपने वोटों का बलिदान नहीं देगी वो अब विकाश चाहती है l अगर अखिलेश और मायावती को वोट चाहिए तो अपना एजेंडा विकास को समर्पित करना होगो और यह समझाना होगा लोगो को की क्यों उनको वोट दे , क्योकि बीजेपी अभी ज्यादा मजबूत लगती है क्योंकि केंद्र मे, प्रदेश मे दोनों जगह वो सत्ता मे है l अयोध्या मुद्दा भी बीजेपी वोटों के ध्रुवीकरण के लिए उपयोग कर सकती है और उनके पास जनता को देने और दिखाने के लिए बहुत कुछ है l आप इसको मज़बूरी भरा एक मजबूर गठबंधन समझ सकते है l 

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