आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध साहित्य में बादाम को स्वास्थ्य लाभ का श्रेय दिया

आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध साहित्य में बादाम को स्वास्थ्य लाभ का श्रेय दिया 
 पुराने कफ, मूत्रत्याग के दौरान जलन, पुरूषों में नपुसंकता तथा यौन षक्ति में कमी होने पर बादाम का उपचारात्मक प्रभाव होता है।ऽ बादाम के औषधीय गुणों में पेषियों की शक्ति  तथा शरीर के आकार में वृद्धि, पेट तथा छाती की आंतडियों को पोषित करने तथा जनन उत्तकों तथा प्रणालियों की क्षमता में सहायता प्रदान करना शामिल । 

आयुर्वेद वैकल्पिक चिकित्सा का एक स्वरूप है, जिसमें खासतौर पर आहार पर जोर देकर, जडी-बुटियों से उपचार, व्यायाम, ध्यान, शवसन तथा शारीरिक उपचार के माध्यम से समग्र एवं पूर्ण पद्धति का उपयोग कर शरीर, मन और आत्मा का उपचार तथा एकीकरण किया जाता है। उपचार का यह स्वरूप हमारी संस्कृति में ठीक उसी तरह से समाया हुआ है गहरे से समाया हुआ है, जिस तरह से हमारे यहां बरसों से बादाम खाने की परम्परा रही है।

ट्रांसडिसिप्लिनरी यूनिवर्सिटी (टीडीयू) की डाॅ. पदमा वैंकटसुब्रमणियम और डाॅ. सुब्रमण्य कुमार की समीक्षा में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी पाठ प्रकाषित हुए है जिनमें बादाम के उपयोग तथा स्वास्थ्य के लिए इसके लाभ को अभिलेखित किया गया है। 

रिव्यू ट्रांस-डिसिप्लनरी यूनिवर्सिटी(टीडीयू) की प्रमुख लेखिका  डाॅ. पदमा वैंकटसुबमणियम का कहना है कि‘‘अब से कई साल पहले से बादाम को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। यह माना जाता है कि इसका कारण बादाम की पोषणात्मक खुबियां है। फिर भी, आधुनिक चिकित्सा में हुई प्रगति के साथ साधारण बीमारियां या ऐसी स्थिति जिन्हें प्राकृतिक आहार तथा आयुर्वेद, सिद्ध या यूनानी जैसी परम्परागत उपचार प्रणालियों द्वारा ठीक किया जा सकता है उसके लिए लोग प्रयोगषालाओं में निर्मित औषधियों को लेने को प्रवृत्त हुए हैं। उदाहरण के लिए सिद्ध प्रणाली के अनुसार बादाम का एक प्रमुख कार्य पूरे शरीर के उत्तकों खासकर प्रजनन अंगों के उत्तकों को मजबूत बनाना है। सिद्ध प्रणाली के अनुसार ऐसा माना गया है कि गैस से होेने वाली जलन तथा मधुमेह के रोगियां में कमजोरी जैसी जीवनषैली से जुडी स्थितियों में बादाम का औषधीय प्रभाव होता है। ‘‘

उन्होने कहा कि ‘‘इस समीक्षा की सबसे अधिक दिलचस्प खोजों में से एक खोज यह है कि आयुर्वेद तथा यूनानी दोनो उपचार प्रणालियों के अनुसार आज की दुनिया में तेजी से बढती पुरूष नपुसंकता और धटती यौन क्षमता पर भी बादाम के खाने से उपचारात्मक प्रभाव पडता है। ‘‘ 

डाइट वेलनेस तथा न्यूट्रिषन कंसलटेंट रक्षा गोयल का कहना है कि ‘‘आज लोगों में जीवनषैली से जुडी बीमारियों के प्रति बढ रही जागरूकता के साथ लोग स्वस्थ्य जीवनषैली अपनाने वाले उपायों को अपनाने के ज्यादा से ज्यादा इच्छूक होते जा रहे हैं। जैसा कि वैज्ञानिक साहित्य में समर्थन किया गया है बादाम के हृदय के स्वास्थ्य  , वजन  ए तथा मधुमेह प्रबंधन  ए संबधी लाभों को देखते हुए मै लोगों को रोजाना मुठ्ठीभर (23बादाम/30ग्राम ) लेने की  सिफारिष कर रही हूं। तथापि,यह समीक्षा हमे यह भी याद दिलाती है कि मौजूदा वैज्ञानिक साक्ष्यों से मिले समर्थन मे अलावा  कई तरह के लाभों के लिए भारतीय चिकित्सा परम्परा में बरसों से बादाम खाने की सिफारिष की जाती रही है। यह देखना दिलचस्प है कि इन पाठयों में बादाम के बारे में शायद ही चर्चा किए जाने वाले क्षेत्र कामोत्तेजक प्रभाव के अलावा त्वचा और बालों के स्वास्थ्य को बढावा देने में बादाम की भूमिका के बारे में कहा गया है। ‘‘

प्रसिद्ध अभिनेत्री तथा सेलिब्रिटी नम्रता षिरोडकर का कहना है कि ‘‘मेरा हमेषा से प्राकृतिक आहार और उनकी अच्छाईयों पर विश्वास रहा है । चूंकि मैं बादाम के ढेर सारे लाभों के बारे में सुनते सुनते बढी हुई हूं, मै यह सुनिष्चित करती हूं कि मेरा पूरा परिवार रोजाना मुठ्ठीभर बादाम का सेवन करे। यह समीक्षा मेरे द्वारा बादाम के बारे में सुनने तथा विष्वास किए जाने के साथ बढे होने की बात की प्रतिध्वनित करती है। एक माॅं के रूप में मेरे लिए सबसे बडे संतोष की बात तो यह है कि आयुर्वदिक तथा यूनानी पाठों में यह बताया गया है कि बादाम खाने से मस्तिष्क, तंत्रिका उत्तकों को पोषण मिलता है और दिमाग तेज होता है। अपने बच्चे के दैनिक आहार में बादाम को शामिल करने का एक सबसे बडा कारण यह भी है और मैं ऐसा करने रहना जारी रखुंगी। ‘‘ 

इस समीक्षा का उद्येष्य यह देखना था कि बादाम किस तरह से परम्परागत स्वास्थ्य/उपचार प्रणालियों में सही ठहरती है तथा परम्परागत पाठयों की समीक्षा द्वारा भारतीय प्रणालियों में मान्यता की पुष्ठि भी होती है। समीक्षा के उद्येष्य से टीडीयू ने तीन परम्परागत चिकित्सा प्रणालियों के पाठों की समीक्षा की तथा सभी प्रकाषिप पाठयों को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ( आयुर्वेद, योग तथा नेचुरोपैथी,यूनानी ,सिद्ध और होम्योपैथी ) द्वारा अनुमोदित किया गया है । इन तीनो परम्परागत चिकित्सा प्रणालियों में बार बार बादाम का उल्लेख किया गया है तथा बादाम की किस्मों, उपयोग किए जाने वाले हिस्सों, कार्यगत गुणों, औषधिय क्रियाओं, उपचारात्मक संकेतों तथा उपयोग के बारे में कहा गया है। इसके अतिरिक्त, इन पाठयों में एक घटक के रूप में बादाम का उपयोग कर कई तरह के संयोग तैयार करने का उल्लेख भी किया गया है। 
यह दिलचस्प है कि जबकि यह परम्परागत भारतीय चिकित्सीय पाठ पहले से ही आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा समर्थित स्वास्थ्य लाभों को पहल से ही मानते हैं इनमें बादाम के अन्य लाभों को भी दर्षाया गया है।

रिपोर्ट में जिन बातों पर प्रकाष डाला है उनमे से कुछ प्रमुख बाते निम्नानुसार हैं: 
प्रणाली बादाम बीजों का उपचारात्मक उपयोग बदाम के बीजों के औषधीय गुण 

आयुर्वेद – मधुमेह संबंधी दुर्बलता और कमजोरी,पुराना कब्ज, पुरूष नपुसंकता ,यौनदुर्बलता, महिलाओं मे मासिक चक्र तथा भारी रक्तस्त्राव ,पुराना कफ, मस्तिष्क तथा केन्द्रिय तंत्रिका प्रणाली में कमजोरी और वृद्धावस्था संबधी संवेदी ह्नास,लकवा, पक्षाधात, चैहरे पर लकवा ऽ मुत्रत्याग करते समय जलन, सामान्य कमजोरी,दुर्बलता, वजन में कमी  ,भूख न लगना , पेषियों की ताकत और शरीर के वजन में वृद्धिऽ टाॅनिक के रूप में सभी उत्तकों को सहायता प्रदान करना । त्ंात्रिका उत्तकों का पोषण, कामोत्तेजक के रूप मे कार्य करना । जननात्मक उत्तकों तथा कार्यप्रणालियों की सहायता करना ।ऽ तंत्रिका प्रणाली को उत्तेजित करना । रंग निखारना, त्वचा की रक्षा करना तथा बालों की वृद्धि करना ।

सिद्ध – पेट की जलन सभी उत्तकों और पांच संवेदी अंगों का पोषण  मुत्रत्याग करते समय शरीर में गरमी बढना तथा जलन का अनुभव करना(सेंके हुए बीज ) त्वचा में खुजली, एक्जिमा,षल्कीय त्वचा (बीजो का पेस्ट बाहर से लगाना ) मधुमेह के रोगियों मे दुर्बलता

यूनानी – मस्तिष्क तथा केन्द्रिय तंत्रिका प्रणाली में कमजोरी और वृद्धावस्था संबधी संवेदी ह्नास , लकवा, पक्षाधात, चैहरे पर लकवा , पुराना कब्ज, मधुमेह संबंधी दुर्बलता और कमजोरी , मुत्रत्याग करते समय जलन, पुराना कफ,सामान्य कमजोरी,दुर्बलता , वजन में कमी  ,भूख न लगनाऽ पुरूष नपुसंकता ,यौनदुर्बलताऽ महिलाओं मे मासिक चक्र तथा भारी रक्तस्त्राव  ,दिमाग तेज करना , मस्तिष्क को पोषण, पुरूषों तथा महिलाआं दोनों के जनन उत्तकों का पोषण , पुरूषों के शुक्राणुओ में वृद्धि करना, कामोत्तेजक के रूप मं काम करना ।, पेट तथा छाती की अंतडियों का पोषण 

 

 

Comments are closed.