आजाद लब: अपना टाइम आएगा –यही है देश की राजनिति : विश्वबन्धु

अपना टाइम आएगा जी हां यही वह सोच है जो तमाम पार्टियों की नेताओं के  मन में अंदर चलता रहता है l जब वह सत्ता में होते हैं तब भी जब वह सत्ता के बाहर होते हैं तब भी l  इसका ताजा उदाहरण हमें यूपी मैं देखने को मिला जब अखिलेश यादव यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम में किला प्रयागराज आना चाहते थे परंतु उनको लखनऊ हवाई अड्डे पर रोक दिया गया यह कहते हुए कि उनके जाने से वहा कानून व्यवस्था की स्थिति ख़राब होगी l

 

स्थिति अच्छी होगी ख़राब होगी यह तो बाद की बात है परन्तु सरकार ने कह दिया तो आप को मानना होगा, यह कितना सत्य है और कितना गलत यह किसी को पता नहीं चलता , परन्तु अखिलेश को रोकने से पूरे यूपी की शांति ख़राब हो गई यही सच्चाई है l  किसी को कही जाने से रोकना सत्ता का वह खेल है जो सत्ता में बैठा हुआ तमाम इंसान खेलता है l  कुछ दिन पहले अगर आपको याद हो तो जब अखिलेश यादव सत्ता में थे और योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद थे वह भी एक कार्यक्रम में जाना चाहते थे परंतु अखिलेश यादव ने उनको रोक दिया था l उसी का बदला योगी आदित्यनाथ ने उनको प्रयागराज जाने से रोकने का काम करके किया l  मतलब हर कोई जो सत्ता में बैठा है और जो सत्ता के बाहर वह यही सोचता है कि अपना टाइम आएगा और जब अपना टाइम आएगा तो मैं इनको करके दिखाऊंगा जिन्होंने मेरे साथ किया है l

यह एक बदले की भावना थी परन्तु जनता का नजरिया इस घटना को दो तरह से दिखेगा अगर आप बीजेपी के समर्थक है तो यह सही है और अगर बीजेपी के समर्थक नहीं है तो गलत है l मतलब देश की सभी घटनाएँ जो घट रही है उसको बाट दिया गया है परन्तु उसकी सचाई से किसी को कोई मतलब नहीं है l योगी आदित्यनाथ को इस घटना के पहले ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में एक सभा करने से रोका था परंतु योगी आदित्यनाथ सड़क के द्वारा वहा गए और उन्होंने भाषण दिया और उनको रोके जाने का विरोध भी किया और जब अखिलेश के साथ यह घटना उत्तर प्रदेश में हुई तो इस का ममता बनर्जी ने कड़ा विरोध किया यह वही ममता बनर्जी है जिन्होंने 2 दिन पहले योगी आदित्यनाथ को पश्चिम बंगाल में आने से रोका था l मतलब एक ही काम दोनों करते है और दोनों अपनी -अपनी नजरों मे सही है और एक दुसरे को गलत बोल रहे है और जनता वही देख रही जो उसको दिखाया जा रहा है यानि जानती को कुछ अपने नज़रिए से नहीं देखने दिया जा रहा है या फिर जनता देखना नहीं चाहती l

 

देश की राजनीति किस दिशा मे जा रही समझ नहीं आता या फिर हम सच्चाई समझने की कोशिस ही नहीं कर रहे l ऐसे कितने उदहारण है भारत के राजनीतिक में सत्ता में बैठे लोग सत्ता के मद में चूर होकर विपक्षी दल के ऊपर ऐसे करवाई करते हैं और उन्हें रोकने का प्रयास करते हैं l आडवाणी रथ यात्रा लेकर निकले थे उनको लालू यादव ने बिहार में अरेस्ट किया था वो सत्ता के मद में चूर थे, अब चारा घोटाले में जेल में है l  मतलब यह है कि सत्ता मे बैठा इन्सान  कुछ भी कर सकते हैं और वो अपने को सही कहता है, और विपक्ष में बैठा आदमी यह सोचता है कि ठीक है अपना टाइम आएगा तो मैं भी ऐसा ही करूंगा l परंतु अभी चुनाव का मौसम है और चुनाव के समय ऐसी घटना होती है यह सत्ता का खेल है l 

 जनता भी सोचती है उसका भी टाइम आयेगा इनको सत्ता से बाहर करेगी l परन्तु आज चुनाव मे सच्चाई नहीं प्रचार तंत्र हावी है l होता कुछ और है और बाहर कुछ और दिखाया कुछ और जाता है l आज देश की राजनीति सच्चाई पर नहीं प्रचार तंत्र के द्वारा संचालित हो रही है और प्रचार तंत्र हावी है और पूरे देश की जनता का दिमाग प्रचार करके चारों तरफ से मुख्य समस्याओं से हटाया जा रहा है ,और जनता वापिस गुमराह हो जाती है कभी -कभी सही भी करती है l

चुनाव का समय आ गया है और इस देश की जनता को जागरूक होना चाहिए एक बार उनका टाइम भी आ गया है l  आज देश की जनता को एक रिपोर्ट नहीं बताया जा रहा है और जिसका मीडिया भी जिक्र  नहीं कर रही है कि भारत के इतिहास में पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी 2017-2018 में बढ़ी है, इसको राष्ट्रीय त्रादसी घोषित करनी चाहिए परन्तु और यह सरकार की रिपोर्ट है परंतु उसको दबाया जा रहा है, l जनता का टाइम आ गया है सत्ता में बैठ हर एक नेताओं को जवाब देने का कि लोकतंत्र का मतलब होता है -सत्ता जनता के लिए ,जनता के द्वारा और जनता का है  नेताओं या किसी पार्टी का नहीं  होता है l जनता का टाइम आ गया है और हम अपेक्षा रखते हैं कि जनता अपना निर्णय लेगी , क्योंकि अब सब का टाइम आ गया है l 

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