होम्योपैथिक है असरदार l

आजकल चारों ओर एलोपैथिक एवं आयुर्वेदिक जैसी प्रामाणिक और सशक्त चिकित्सा प्रणालियां उपलब्ध हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि हमें होम्योपैथिक अपनाने की क्या आवश्यकता है? और बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के रोग को जड़ से मिटाने में सक्षम होती हैं। ये दवाएं चूंकि रोगी को स्वयं ही जीवनी शक्ति को ही उत्प्रेरित कर रोग से मुक्ति दिलाती हैं। अत: यह मुख्य बीमारी के साथ-साथ अन्य बीमारियां भी दूर करने मे सक्षम होती हैं। होम्योपैथिक चिकित्सा में कभी-कभी आवश्यक सर्जरी से भी निजात मिल जाती है। विशेषकर प्रोस्टेट ग्लैण्ड का बढ़ना, टांसिलाइटिस, हड्डी का बढ़ना आदि इसमें शामिल हैं। इससे न सिर्फ गेहनत से कमाए पैसों की बचत होती है। वरन सर्जरी कें दुष्प्रभावों से भी बचाव होता है। होम्योपैथिक में कई बीमारियों का रोग प्रतिरोधक दवाएं उपलब्ध हैं, जो रोग के फैलने की अवस्था में स्वस्थ शरीर में रोग का आक्रमण नहीं होने देता है। उदाहरण के लिए क्रूप खांसी, मिजल्स, टीट्नेस, पथरी आदि । ये दवाएं मीठी-मीठी चीनी की गोलियों में कुछ बूंदें डाल कर दी जाती हैं, छोटे-छोटे बच्चे भी इन दवाइयों को बड़े चाव से खाते हैं। होम्योपैथिक चिकित्सा अन्य किसी भी चिकित्सा

पद्धति से काफी सस्ती है, इसमें दवा की न्यून से ,

न्यूनतन मात्रा होती है

सिर्फ इसी चिकित्सा पद्धति में रोगी के शारीरिक के साथ-साथ मानसिक लक्षणों का भी विश्लेषण किया जाता है, जिससे रोग को जड़ से मिटाने में सफलता मिलती है। पुराना से पुराना रोग यहां तक कि वंशगत बीमारियां भी छोटी-छोटी मीठी होम्योपैथिक की गोलियों से समाप्त होती हैं। आज होम्योपथिक सिस्टम भी दवाओं के मामले में भी काफी धनी है, करीब ढाई हजार से भी अधिक दवाएं यहां उपलब्ध हैं। होम्योपैथिक दवाएं पशुओं पर भी काफी असरकारी सिद्ध हुई हैं।

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