भारत की शान, जिन को मिला नोबेल पुरस्कार l

रवीन्द्रनाथ ठाकुर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर जिन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है| वे कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से प्रथम नोबल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं, जिसकी दो | रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं – भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं।

सुब्रहमण्यम चन्द्रशेखर : सुब्रहमण्यम विख्यात तमिल भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। भौतिक शास्त्र पर उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम . ए. फाउलर कें साथ संयुक्त रूप से सन् 1983 में भौतिकी का नोबल पुरस्कार मिला| –

 

अमत्र्य सेन: इस अर्थशास्त्री का जन्म कोलकाता में शांति निकेतन में हुआ था। उनके पिता आशुतोष सेन ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र पढ़ाते थे। कोलकाता स्थित शांति निकेतन और प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ाई पूर्ण करने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन के कुछ वर्ष उन्होंने मांडले (बर्मा में स्थित) में भी बिताए और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा ढाका में हुई। उन्हें वर्ष 1998 में अर्थशास्त्र का नोबल सम्मान मिला और 1999 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

 

चन्द्रशेखर वेंकट रामनः चन्द्रशेखर का जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु प्रांत के तिरुचिरापल्ली नामक स्थान में हुआ था। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष 1930 में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल दिया गया| उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है |

वेंकटारमन् : 1952 में तमिलनाडु के चिदंबरमः में जन्मे वे एक जीव वैज्ञानिक हैं। इनको 2009 के रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन्हें यह पुरस्कार कोशिका के अंदर प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए दिया गया है। इनकी इस उपलब्धि से कारगर प्रतिजैविकों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इसराइली महिला वैज्ञानिक अदा योनीथ और अमेरिका के थॉमस स्टीज को भी संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया। तीनों वैज्ञानिकों ने त्रि-आयामी चित्रों के जरिए दुनिया को समझाया कि किस तरह राइबोसोम अलग-अलग रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, इसके लिए उन्होंने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी का सहारा लिया, जो राइबोसोम्ज की हजारों गुना बड़ी छवि सामने लाता है। । मदर टेरेसा : अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम या से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य (आजका सोप्जे, मेसोडोनिया गणराज्य) : में हुआ था।

मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिनके पास भारतीय नागरिकता थी। उन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चेरिटी की स्थापना की। 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ, और मरते हुए इन्होंने लोगों की मदद की और साथ ही चेरिटी के मिशनरीज के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। उन्हें 1979 में नोबल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।

 

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