अपने को अंदर से बदलो :- स्वामी विवेकानंद

तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते होए तुम सुन्दर अपनी चमड़ी बदलवा सकते होए तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगेए वासना से भरे रहोगेए हिंसाए क्रोधए इष्यए शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। ओशो द्वारा बोले गए इन वचनों का यदि अध्ययन किया जाए तो भलि भांति स्पष्ट होता है कि व्यक्ति का श्रेष्ठ आचरण ही उसे प्रसिद्ध बनाता हैए यदि व्यक्ति सारा दिन स्वयं को सजाने संवारने में बिता दे और सारा दिन दूसरों की निंदा और बुराई करने में ही बिता दे। वो सदैव दूसरों की बुराई और उपेक्षा करता रहे और सभी व्यक्ति उसके आचरण से दुखी रहेंए तो वह श्रेष्ठ कैसे हो सकता है।
सदैव मधुर बोलें 
वहीं दूसरी ओर यदि कोई सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति जिसके पास भगवान का दिया सुदर तन नहीं है और वह सदैव सबसे मीठे वचन बोलता है। किसी को किसी को भी अपने वचनों से दुख नहीं देना चाहता है। सबसे मीठा बोलता हैए वह सदैव सबका चहेता बना रहता है। संत शिरोमणि कबीरदास जी ने भी कहा हैरू ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये। औरन को शीतल करेए आपहुंशीतल होए। अर्थात सदैव मन को शात रहकर ही बोलिए। ऐसा करने से अन्य भी आप से प्रसन्न रहेंगे और आपको भी शीतलता महसूस हो। कोयल और कौए का रंग समान होता हैए किंतु फिर भी सब कोयल को ही पसंद करते हैं। इसका एक छोटा.सा कारण हैए जब कोयल किसी के घर पर कूकती हैए तो उसकी वाणी की मिठास के कारण सब पसंद करते हैं। वहीं दूसरी ओर जब उसी के समान रंग.रूप वाला कौआ जब कर्कशता पूर्वक कांवकांव करता हैए तो व्यक्ति उससे परेशान होकर उसे भगाने का प्रयास करने लगता है। यही अंतर दोनों के से प्रण लें कि स्वयं को बाहर से नहीं अंदर से संवारना शुरू करें ।

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